गुलाबी मीनाकारी एक मूल्यवान और कलात्मक विधा है जो कि प्राचीन होते हुए भी आज तक प्रचलित है | मीनाकारी का कार्य मूल्यवान रत्नों तथा सोने या चांदी के आभूषणों पर किया जाता है|
मुगलकाल में गुलाबी मीनाकारी का प्रचालन प्रारम्भ हुआ ,इसमें शिल्प का निर्माण ६०० से १२०० डिग्री सेल्सियस तापमान पर किया जाता है सोना ओर चांदी इसमें कच्चे माल के रूप में प्रयोग में लाये जाते है जिसमे अपारदर्शी मीना पर गुलाबी पेंटिंग की जाती है इसीलिए इसे गुलाबी मीनाकारी भी कहते हैं
मीनाकारी की वस्तुएं बनाने का क्रम बहुत ही लम्बा होता है जिसे कई कुशल हाथों से होकर गुज़रना पड़ता है..मीनाकारी के खूबसूरत आभूषणों के अलावा सजावटी सामान भी निर्मित किये जाते हैं…वाराणसी के गाय घाट क्षेत्र में इस शिल्पकला के कारीगर देखने को मिलते हैं,जो इस कला को मूर्त रूप प्रदान करते हैं..
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