वाराणसी की काष्ठकला और लकड़ी के खिलौनो में शिल्पकला का विलक्षण उदाहरण देखने को मिलता है, जिसमे चमकदार और गहरे रंगों का प्रयोग किया जाता है |
इन खिलौनों को बनाने के लिए सफेदा, गूलर, और शीशम आदि पेड़ों की लकड़ी को उपयोग में लाया जाता है, और सबसे ख़ास बात यह है कि लाख को पिघलाकर इनको रंगा जाता है जिसकी विधि अत्यंत अद्भुत है| उनमे से सबसे बेहतरीन उदाहरण है लकड़ी का सिंदोरा जो एक हिन्दू स्त्री के विवाह और श्रृंगार का महत्वपूर्ण अंग है| आज की सहज शिल्प से पहले इन जटिल और अद्भुत कलाकृतियों को सराहा जाता रहा है और आज भी लोग इन्हें पसंद कर रहे है, साथ ही इन खिलौनों का निर्यात विदेशों में भी हो रहा है|
वाराणसी के कश्मीरीगंज और खोजवा क्षेत्र में इस शिल्पकला के शिल्पकार आपको काफी मात्रा में मिलेंगे जो पीढ़ियों से इस कला में संलग्न हैं |
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